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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

अपनी चाबी अपने पास रखो हमेशा

कहते हैं ना —
प्यार में दिल दे देना चाहिए,
तो हमने भी दे दिया…
पर गलती से साथ में चाबी भी दे दी!

और जनाब!
वो चाबी थी —
हमारे मूड की,
हमारे सुकून की,
यहाँ तक कि हमारी नींद की भी।

वो हँसे — हम हँसे,
वो चुप — हम चुप,
वो गए online —
हमने अपनी साँस रोक ली!

अब बोलो,
ये प्यार था या रिमोट कंट्रोल वाला रिश्ता?

जब भी उनकी मर्ज़ी हुई —
emotion on!
जब मन भर गया —
block और silence mode on!

और हम?
बैठे रहे,
अपनी ही भावनाओं के दरवाज़े पर…
उस चाबी के लौटने की उम्मीद में।

तो अब सुनो —
चाबी अब खुद के पास रखो!
ना कोई दरवाज़ा खुलवाने की ज़रूरत,
ना कोई ताला किसी और के इशारे पर खुलवाना।

क्योंकि भैया —
जब अपने मन का ताला कोई और खोलने लगे,
तो आत्मा किराए के मकान में बदल जाती है।

अब तो उस चाबी से खोलनी है —
स्वाभिमान की तिज़ोरी!
जिसमें ना कोई validation चाहिए,
ना ही किसी की seen-reply की ज़रूरत।

अब जो भी आए —
कह दो —
“स्वागत है… पर ताले की चाबी अब मेरे पास है।”




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

Vineet Garg said

कहते हैं ना — प्यार में दिल दे देना चाहिए, तो हमने भी दे दिया… पर गलती से साथ में चाबी भी दे दी! Bahut shandar abhivyakti

Updesh Kumar Shakyawar said

वाह...बहुत खूब

Vadigi.aruna said

बहुत सुंदर रचना

कमलकांत घिरी said

Waah lajawab mam bahut khubsurat bhav se apni rachna prastut ki bahut khoob 👌🙌👏🙏

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