जीवन का द्वंद्व
हर मोड़ पर, हर निर्णय में,
नया उलझाव, नई उलझन है।
सोचें तो लाखों राहें खुलें,
पर कौन सही? यह प्रश्न मन है।
बचपन का द्वंद्व
खेलें, कूदें, दुनिया जानें,
या बड़ों की बातें मानें?
माँ की गोद या बाहर की चमक,
निर्णय का पहला द्वार वहीं जानें।
युवा मन की उलझन
सपनों का पीछा करें अकेले,
या अपनों की राह पकड़ लें?
दिल के अरमानों को सजाएं,
या समाज की सीमाओं में चलें?
प्रेम और संबंधों का संघर्ष
सच्चे जज़्बातों की सुने धड़कन,
या दुनिया के नियमों से डरें?
रहें अकेले अपने उसूलों संग,
या समझौते में जीवन करें?
रोज़गार और भविष्य का द्वंद्व
पैसा कमाएं, नाम कमाएं,
या आत्मा की तृप्ति को अपनाएं?
भीड़ का हिस्सा बनकर चलें,
या अकेले सही मार्ग अपनाएं?
बुढ़ापे की उलझन
अतीत को याद करें, मुस्कुराएं,
या आने वाले अंत से घबराएं?
छोड़ जाएं कुछ नाम, कुछ निशान,
या बस समय के साथ बह जाएं?
अंतहीन दुविधा
हर उत्तर में छिपे नए सवाल,
हर सही में छुपा कोई मलाल।
निश्चित कुछ भी नहीं इस जीवन में,
बस निर्णय ही बनता है हाल।
क्या सच, क्या झूठ, कौन जाने?
हर मन की अपनी कहानी है।
द्वंद्व ही जीवन की परिभाषा है,
संशय ही इसकी रवानी है।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




