कापीराइट गजल
हम इस जीवन के लम्बे सफर में कतरा-कतरा जीते हैं
हर सुख की चाह में हम सारे गम का अमृत पीते हैं
खुशियां भी लगती हैं जहर जब अपने साथ नहीं होते
अपनी खुशियां पाने के लिए हम घूंट जहर का पीते हैं
रूठी रहती हैं खुशियां हर कदम कदम पर जीवन में
हम अपनी खुशियों की खातिर दुख के आंसू पीते हैं
इस दुनियां में कौन बचा है सुख दुख के इस चक्कर से
हम आशा और निराशा के सागर में गिर कर जीते हैं
कितनी उलझन हैं जीवन में ये हम कैसे तुम्हें बताएं
अपने छोटे से जीवन में हम नित उलझन में जीते हैं
घर ये किसी को नसीब नहीं कोई महलों में रहता है
जब छोड़ते हैं दुनियां सारे सब लोग जमीं पर सोते हैं
जब अपना नहीं कुछ भी जग में क्यूं कोई गुमान करे
इस मोह माया के चक्कर में क्यूं मर-मर के जीते हैं
क्या लेके आया था यादव और क्या तू लेकर जाएगा
छोड़ो ये चक्कर सारे आ कुछ पल चैन से जीते हैं
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




