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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

गजल - कतरा-कतरा जीते हैं

कापीराइट गजल

हम इस जीवन के लम्बे सफर में कतरा-कतरा जीते हैं
हर सुख की चाह में हम सारे गम का अमृत पीते हैं

खुशियां भी लगती हैं जहर जब अपने साथ नहीं होते
अपनी खुशियां पाने के लिए हम घूंट जहर का पीते हैं

रूठी रहती हैं खुशियां हर कदम कदम पर जीवन में
हम अपनी खुशियों की खातिर दुख के आंसू पीते हैं

इस दुनियां में कौन बचा है सुख दुख के इस चक्कर से
हम आशा और निराशा के सागर में गिर कर जीते हैं

कितनी उलझन हैं जीवन में ये हम कैसे तुम्हें बताएं
अपने छोटे से जीवन में हम नित उलझन में जीते हैं

घर ये किसी को नसीब नहीं कोई महलों में रहता है
जब छोड़ते हैं दुनियां सारे सब लोग जमीं पर सोते हैं

जब अपना नहीं कुछ भी जग में क्यूं कोई गुमान करे
इस मोह माया के चक्कर में क्यूं मर-मर के जीते हैं

क्या लेके आया था यादव और क्या तू लेकर जाएगा
छोड़ो ये चक्कर सारे आ कुछ पल चैन से जीते हैं

- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

Tulsi patel said

बड़ी शानदार कलम चलाई है लेखराम सर आपने..☺️👌🏻

Lekhram Yadav replied

आदरणीय तुलसी पटेल जी आपका धन्यवाद सहित बहुत-बहुत आभार एवं सुप्रभात।

सुभाष कुमार यादव said

सुंदर रचना।👌👌🙏🙏

Lekhram Yadav replied

धन्यवाद सहित सादर नमस्कार सुभाष जी।

वन्दना सूद said

बहुत ही खूबसूरत और सच्चाई प्रकट करती रचना 👏👏🙌🏻🙌🏻

Lekhram Yadav replied

आदरणीय वन्दना जी, आपको धन्यवाद सहित सादर नमस्कार।

कमलकांत घिरी said

वाह वाह कितनी खूबसूरत रचना है सर जी,शानदार, भावनाओं से भरी हुई रचना 👌👏🙌✍️सादर प्रणाम सर जी आपको🙏

Lekhram Yadav replied

प्यारे कमलकांत भाई आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

इस दुनियां में कौन बचा है सुख दुख के इस चक्कर से हम आशा और निराशा के सागर में गिर कर जीते हैं Behtreen pankti, uske bad m aapka yeh kahna ki , क्या लेके आया था यादव और क्या तू लेकर जाएगा छोड़ो ये चक्कर सारे आ कुछ पल चैन से जीते हैं Laazwaab...ek behtreen aur utkrasht rachna, Saadar Pranam Yadav Sir 🙏🙏

Lekhram Yadav replied

आदरणीय अशोक कुमार पचौरी आर्द्र सर जी, आपकी इस मनोहारी एवं उत्कृष्ट प्रतिक्रिया के लिए बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद एवं सादर नमस्कार।

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

खुशियां भी लगती है जहर,जब अपने साथ नहीं होते। आपकी सोच खूबसूरत , आपकी रचना खूबसूरत, वाह भई वाह!

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब आपको सादर नमस्कार

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