कुछ वक्त से जिंदगी महकने लगती है ,
मीठी तीखी सी फिजाओं में घुलने लगती है ,
यू तो आज़ादी सबको प्यारी है गफ़न से ,
एक वक्त पर यह भी खलने लगती है .......
तेजप्रकाश पाण्डेय ✍️✍️✍️♥️♥️♥️♥️
New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|
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यू तो आज़ादी सबको प्यारी है गफ़न से ,
एक वक्त पर यह भी खलने लगती है .......
तेजप्रकाश पाण्डेय ✍️✍️✍️♥️♥️♥️♥️