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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

मैं था… पर मैं कभी था ही नहीं(कर्ण संहिता)

कर्ण की आत्मा की वाणी में….

मैं उस गर्भ का फल था,
जो लोकलाज से डर गया।
मैं उस सूर्य का तेज़,
जिसे छाँव में छिपा दिया गया।

कुंती!
क्या माँ होने के लिए
केवल जन्म देना काफ़ी था?
या मुझे जीवन में एक बार
“बेटा” कहकर भी पुकारा जा सकता था?

क्यों नहीं चीख़ पाई तुम,
सभाओं में, रणों में,
या उस दिन — जब मैं
धर्म के तराज़ू पर
जाति के भार से हारा था?

तुम चुप रहीं।
और वो भी चुप रहा —
वो कृष्ण…
जिसे सबने सखा कहा,
पर जिसने मेरी पीड़ा को
कभी मित्रता की भाषा नहीं दी।

धर्मराज न्याय की मूर्ति बने रहे,
पर क्या न्याय का पहला नियम
अपने को पहचानना नहीं होता?
और अर्जुन —
धनुर्धर सही,
पर क्या मेरे रक्त ने
तेरे रथ की ध्वनि को
कभी नहीं काँपाया?

द्रौपदी…
तू भी एक मौन में थी —
जिस मौन में मेरी जात थी,
मेरा अपराध,
और तेरा अपमान —
जो हम दोनों के बीच दीवार बन गया।


कृष्ण!
तू जानता था सब कुछ,
फिर भी मोहरों को
बचाने के लिए
मुझे बलि क्यों चढ़ाया गया?

क्या इसलिए कि मैं
उनके वंश का नहीं था?
या इसलिए कि
तेरे धर्म के लिए
मेरा अधर्म ज़रूरी था?

इतिहास ने मुझे ‘दानी’ कहा,
‘महान योद्धा’ कहा,
पर कभी ‘पीड़ित’ नहीं कहा।
कभी नहीं लिखा,
कि मैं उस समय का
सबसे अकेला आदमी था,
जो पाँच भाइयों का भाई होकर भी
अनाथ मर गया।

मैं था…
पर मैं कभी था ही नहीं।
इतिहास के लिए नहीं,
माँ के लिए नहीं,
और शायद
ईश्वर के लिए भी नहीं।

मुझे इतिहास ने ‘दानी’ कहा —
पर कभी ‘पीड़ित’ नहीं।
मैं सूतपुत्र नहीं, एक भूला हुआ सूर्यपुत्र हूँ —
जिसे समय ने त्यागा, और नीति ने छला।

पुस्तक: कर्ण-संहिता (publish very soon)
लेखिका: शारदा गुप्ता




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

PREETI KUMARI said

Behtreen Rachna..

डाॅ पल्लवी "गुंजन" said

Congratulations for upcoming book.

पवन कुमार "क्षितिज" said

आपकी लेखनी बहुत सशक्त है...🙏

शिवचरण दास said

बहुत खूब

देवांशी पटेल said

कर्ण एक ऐसा पात्र है जिसके ऊपर बहुत कुछ लिखा जा सकता है लेकिन उसके ऊपर लिखने के लिए पहले कर्ण को जानना समझना बहुत जरूरी है, आपकी रचना बहुत सटीकता से स्पष्ट करती है की आपने कर्ण को बेहद बारीकी से समझा है तभी कर्ण की व्यथा को आप शब्दों में रूपांतरित कर पायी हैं, कर्ण को समझना हर किसी के बस की बात नहीं आपको आपकी मेहनत के लिए ढेरों बधाइयाँ - बहुत उम्दा लिखा है आपने

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