स्वयं से अंजान हूं,
.... क्या मेरी पहचान है,(2)
स्वयं को पहचान ना,
.... अब मेरा यही काम है,
.... अब मेरा यही काम है,
हर कदम मालूम ना,
....ना रास्ता ना मुकाम है(2)
मेरा वजूद बस तिनका,
....पहेलियों की किताब है,
....पहेलियों की किताब है,
स्वयं से अंजान हूं,
.... क्या मेरी पहचान है,
स्वयं को पहचान ना,
.... अब मेरा यही काम है,
.... अब मेरा यही काम है,
कवि राजू वर्मा द्वारा लिखित
09/03/2025
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