बीते पलों में दिया उसका सिला मिला।
आँख से आँख मिली तजुर्बा जुदा मिला।।
जवानी की तलाश ठहर गई अन्दर में।
तेरे साथ राह में मीठा फल खुदा मिला।।
भविष्य कौन जानता ख्वाब तृप्ति जैसा।
संगी-साथी का सुकून यदा-कदा मिला।।
अब समझ आने लगा मंजिल उससे मेरी।
मेरे स्वभाव सा 'उपदेश' एक इरादा मिला।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद