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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

काश ये दिल तुमपे आया न होता

काश ये दिल तुमपे आया न होता
तुम्हारे लिए गुनगुनाया न होता
वीरानियांँ न होती ज़िंदगानी में
आंँखों में समंदर समाया न होता
बेकली में रात-दिन इतंजा़र न होता
बिछड़ने का अंदेशा लगा न होता
बिमाड़ों सा हाल हुआ न होता
काश ये रोग लगा हीं न होता...




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (10)

+

Sanjay Srivastva said

वाह, बहुत खूब श्रेयसी जी, अति सुंदर बोल 👌

Lekhram Yadav said

क्या बात है श्रेयसी जी आजकल तो जबरदस्त कविता लेखन कर रही हैं, आपकी रचना ने मन को हीला कर रख दिया। आपको हार्दिक धन्यवाद एवं ढेरों आशिर्वाद।

रीना कुमारी प्रजापत said

वाह! बहुत खूब, बिल्कुल फ़िक्र मत कीजिए मिले हैं तो अब नहीं बिछड़ेंगे हम....👌✍️👏🙏😊

श्रेयसी said

Bahut- bahut aabhar Sanjay ji🙏🙏

श्रेयसी said

Suprabhat,saadar pranaam 🙏🙏 Lekhraam bhaiyaa.Bas aisa hin aapka aashirwaad bana rahe aur mai likhti rahun .

श्रेयसी said

Ji, aapse mil kar hin to lagaa ki koi to apna hai is duniya me warna kitne dost aaye aur gaye ye sach hai.Bahut-bahut aabhar aapka 🙏🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

काश ये दिल तुमपे आया न होता तुम्हारे लिए गुनगुनाया न होता Uttam Rachna Mam, 🙏🙏 Pranam

श्रेयसी said

Bahut- bahut aabhar Ashok ji 🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत said

Ji hume bhi apse milker hi laga ki aap wo dost hai jiski mujhe kabse talash thi ek aisi dost jo mere har faisle mein mera sath degi wo fesla jiske khilaaf Puri duniya hogi

श्रेयसी said

Ji bilkul.

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