जीवन कभी दुखों से आहत,
नियति जान जीता जाए,
आते ज्वार भाटे ,
बस में नहीं कुछ,
बद्दुआओं कभी जाने दो ,
जीवन चक्र बदलता जाए,
बन जाता मृत सागर,
आसूं क्षारीय,
डूब ना पाए उसमें कोई,
पाषाण प्रतिमा सी,
देखने में लगे मोहक,
होता शांति का आभास,
धूप जलाओ, दीप जलाओ,
पल पल में जल चढ़ाओ,
शिकायत नहीं किसी से,
जीवन यात्रा दुख के सागर से,
मृत सागर तक,
जीवन से ना कोई शिकायत,
जिंदगी लगे खुशियों का जहां,
जहां सिर्फ जीना है,
लोग मिलते है,
आत्मा पर कोई प्रभाव नहीं छोड़ते
विजया गुप्ता