कापीराइट गजल
ये खामोशियां
ये खामोशियां ये तन्हाइयां ये आएगी रास अब हमको कहां
ये आवारगी और ये जिन्दगी ले जाएगी ये अब हमको कहां
ना साथी कोई ना संगी कोई साथ जाएंगे अब किसके कहां
अन्जान है ये डगर जिन्दगी की जाएं तो हम अब जाएं कहां
ये रौशनी और ये चांदनी, यूं भटकाएगी अब ये हमको कहां
न राहें न मंजिल न लहरें न साहिल जाएं तो हम जाएं कहां
इस तन्हाई में साथ किसका करें ऐसे मौसम में जाएं कहां
सुकू देती नहीं ये हवाएं कहीं भी सुकूं ढूंढ़ने अब जाएं कहां
ये उदासियां और गमे जिन्दगी इस दिल को अब भुलाएं कहां
लगता नहीं है ये दिल कहीं भी इस दिल को अब लगाएं कहां
न रास आया खफा होना उनका कैसे उन्हें अब मनाएं कहां
जब अपना कोई मिलता नहीं तो आवाज दे कर बुलाएं कहां
कहां वो मिलेंगे, कैसे मिलेंगे उसे खोज कर अब लाएं कहां
ये दर्द दिल का होता नहीं कम ये यादव उसे अब बताए कहां
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
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