जीवन की राहें चलतीं
फैलाए अपनी बाहें।
जो पकड़ लिया इन्हें
उसने पा ली अपनी चाहें।
हैरत नहीं है कोई
उठ जाती किस्मत सोई ।
जो पसीना बहाना जानें
वह हर मंजिल पाले।
जो सिर्फ़ सोंचता नहीं
कुछ करता है यारों।
बढ़ता रहता है प्यारों।
वो सब सुख पा लेता
चमका हीं लेता अपनी
किस्मत के सारे तारों।
यहां ज़ख्मों से छलनी सीना
है दुख दर्द सब पीना ।
जो कर लिया इनपे काबू
जीवन का वह बॉस बाबू।
भावनाओं से बचकर।
जज़्बातों की समेटकर।
बच बच कर चलना यारों
बड़ी कठिन है राहें
संभल संभल चलना यारों।
चमका लो अपनी किस्मत
चमका लो अपने तारें..
जीवन की राहें चलतीं
फैलाए अपनी बाहें
जो पकड़ लिया इन्हें
उसने पा ली अपनी चाहें..
उसने पा लीं अपनी चाहें..

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




