कहाँ गईं बचपन की किताबें
बचपन की किताबें बचपन में ही छोड़ आए 📚
किताबें छोड़ दी तो कोई गम नहीं
गुमा दी तो भी गम नहीं 😌
बढ़ती उम्र में कहाँ तक सम्भालते ?
यह बात भी सही है ✍️
पर बचपन की नसीयतें भी पीछे छोड़ आए
भूलते चले गए अपनी बढ़ती उम्र के साथ उन्हें क्यों ?
कहावतें ,मुहावरें, शिक्षा प्रद वाक्यांश
सब किताबों में ही छोड़ आए
न धर्म सम्भाला ,न संस्कार बचाया
न सीरत बची ,न कर्म सुधारा
केवल धन,दौलत,शौहरत में ख़ुद को उलझाया
मान-अपमान,अमीरी-गरीबी,जाति-भेद
ऐसी अहम् की डोरी से ख़ुद की बाँधा
जीवन को जीवन नहीं एक कारोबार बनाया ..
वन्दना सूद