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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

कहाँ गईं बचपन की किताबें

कहाँ गईं बचपन की किताबें
बचपन की किताबें बचपन में ही छोड़ आए 📚
किताबें छोड़ दी तो कोई गम नहीं
गुमा दी तो भी गम नहीं 😌
बढ़ती उम्र में कहाँ तक सम्भालते ?
यह बात भी सही है ✍️
पर बचपन की नसीयतें भी पीछे छोड़ आए
भूलते चले गए अपनी बढ़ती उम्र के साथ उन्हें क्यों ?
कहावतें ,मुहावरें, शिक्षा प्रद वाक्यांश
सब किताबों में ही छोड़ आए
न धर्म सम्भाला ,न संस्कार बचाया
न सीरत बची ,न कर्म सुधारा
केवल धन,दौलत,शौहरत में ख़ुद को उलझाया
मान-अपमान,अमीरी-गरीबी,जाति-भेद
ऐसी अहम् की डोरी से ख़ुद की बाँधा
जीवन को जीवन नहीं एक कारोबार बनाया ..
वन्दना सूद




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

Lekhram Yadav said

बहुत खूबसूरत रचना वन्दना जी, अगर मेरी किसी रचना या कमेंट से आपको तकलीफ पंहुची हो तो आपसे क्षमा चाहता हूं।धन्यवाद।

वन्दना सूद replied

क्या sir आप भी मज़े ले रहे हैं ऐसी बात करके 😊

रीना कुमारी प्रजापत said

अति सुन्दर

वन्दना सूद replied

शुक्रिया ma’am 😊

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

बहुत बढ़िया भावपूर्ण रचना वाह!

वन्दना सूद replied

🙏🙏

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