सुनहरी बूंदें
डॉ एच सी विपिन कुमार जैन" विख्यात "
आकाश से बरसीं, सुनहरी बूंदें,
धरती भीगी, मन भीगे, झूमें।
सूरज की किरणों ने, रंग घोला,
हर बूँद में, एक सपना डोला।
पेड़ों की पत्तियाँ, चमकीं ऐसे,
जैसे मोती हों, जड़े हुए वैसे।
फूलों ने भी, रंग बदले अपने,
खुशबू से महके, ये सारे सपने।
बच्चे भी दौड़े, कागज़ की नाव लेकर,
खुशी से नाचे, बारिश में भीगकर।
हर तरफ फैली, सुनहरी आभा,
ये बारिश लाई, एक नई परिभाषा।