जो अच्छा लगे उस पल को जीना चाहिए'
क्योंकि दुःख तो सागर है,
सुख मोती समान होते हैं
उसकी अहमियत अनमोल होती है,
पर अक्सर ऐसा होता नही,
दुःख और सुख का फासला कम होने से
जीवन में सकारात्मकता होती है,
लोगों ने जीवन की अहमियत बनाने में कम
और बिगाड़ने में ज्यादा की,
इसीलिए हम सुलझते कम
और उलझते ज्यादा हैl
सर्वाधिकार अधीन है