मधुकर के मधु प्रयास..
पुष्पासव लेने गया मधुकर भारी वेग से,
संसार भर को पुहुप समझ कोने-कोने से रस पी रहा,
अनुराग इतना हो गया कि, हलाहल को मधु समझ तल्लीन हो गया,
यह देख के मधुमास विचलित हो उठे ,
बाहों को उठाकर शिव सुत वाहन को संदेश दिए
कह रहे जाओ,
मधुकर को राह बताओ,
रंगीन पुष्प से मिलाओ,
यह कथन सुन के पथ ने भी पथ बदले;
अब चिंता शतदल को लगी,
कैसे ऋतुराज का अपमान हो रहा है,
आज मधुकर हाला में डुबकी लगा आया है,
कांटों से भी कोई रस पीता है,
लगता है कोई शशिप्रभा का दीप जल रहा है,
अब ऐसे हालात में अहर्मुख भी सूर्यास्त लगता है,
सच मान लिया मधुमास ने यह कांटा आज फूल लगता है।।
- ललित दाधीच।।