मार्ग चेतना का अवरुद्ध हो तो
ज्ञान कहां से पायेगा ।
बदलेंगे नहीं हम अगर तो
बदलाव कहां से आयेगा।।
सोच पे तेरी निर्भर है
क्या खोयेगा क्या पायेगा।
कुंठित हो जब मानसिकता
सुविचार कहां से आयेगा ।।
मोह कर माया का जितना भी
हाथ न कुछ भी आयेगा।
रिक्त था दामन कल भी तेरा
खाली हाथ तू जायेगा ।।
लिप्त हो जब तेरी आत्मा
संसार के विषय-भोगों में ।
ईश्वर को भी पा न सका
फिर मोक्ष कहां से पायेगा ।।
डॉ फौज़िया नसीम शाद