लोग जैसे जीते हैं,
हम भी जी लेंगे !!
पीके जीते हैं ग़म,
हम भी पी लेंगे !!
एक दिन मरना है,
सबको वैसे ही !!
तब तलक टोकन
समझके रूक लेंगे !!
कसमें और वादों,
के भरोसे ना रहिये !!
टूटे तो टूटे पर,
हम ना टूटेंगे !!
देख ली सारे जहाँ की,
असलियत !!
बुत की तरह हम भी,
यारो रह लेंगे !!
- वेदव्यास मिश्र की सेंसिटिव कलम से
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




