जाम उठा लिया पी न पाया परेशानी में।
मन मे उठा गुबार भूल गया नादानी में।।
मनमौजी की बात और दिल्लगी न जाने।
जिगर में खाए ज़ख्म कहता कुर्बानी में।।
किस घर से आता जाता 'उपदेश' न जाने।
खामोशी में बदहाल रहा भारी जवानी में।।
क्षण-भंगुर दुनिया में ख्वाब अधूरे रहते।
ईमान से जीना सीखा न रहा बेईमानी मे।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद