शीर्षक - लिखन्तु की रौनक
💐💐For Ashok Kumar pachouri 'Aardra' ji
लिखन्तु की रौनक लौट आई है तालियां बजाओ,
नाचो, कूदो, गाओ और ढोल बजाओ।
हर कलम में हलचल होने लगी है अब
वो कह रही है एक दूसरे से
लिखन्तु की रौनक लौट आई है,
अब फिर से लिखने लग जाओ।
जज़्बात भी अब फिर से स्याही बन कलम में
उतरने लगे हैं,
लिखन्तु की रौनक जो लौट आई है।
बिछड़ गए थे जो जज़्बात,कागज़ और कलम
अब फिर से एक हो गए हैं,
लिखन्तु की रौनक जो लौट आई है।
लिखन्तु की रौनक लौट आई है उदासी भगाओ,
खुश हो जाओ, मिठाई लाओ,
गली, मोहल्ले और पूरे शहर में बंटवाओ।
और पूछे कोई वजह क्या है इसकी ?
तो कह देना
लिखन्तु की रौनक लौट आई है तालियां बजाओ,
नाचो, कूदो, गाओ और ढोल बजाओ।
✍️ रीना कुमारी प्रजापत ✍️