लाखों की भीड़ का मौन संदेश
डॉ. एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात"
टूटा मंदिर, बिखरे पत्थर,
आहत मन, नम आँखें हर घर।
पर न उठी कोई हिंसक ज्वाला,
शांति का था अद्भुत हाला।
लाखों कंठ थे मौन मगर,
आँखों में थी गहरी सगर।
अन्याय देखा, पीड़ा सही,
पर अहिंसा की राह न तजी।
हाथों में थे शांति के बैनर,
मौन प्रदर्शन, शक्तिशाली तेवर।
क्रोध की अग्नि भीतर धधकती,
पर मर्यादा की रेखा न भगती।
यह भीड़ न पत्थर बरसाने आई,
न हिंसा का कोई पाठ पढ़ाई।
यह तो सत्य का मौन उदघोष,
अहिंसा की शक्ति का अघोष।
टूटा जो मंदिर, मिट्टी का था,
पर दिलों का बंधन सच्चा था।
शांति का यह अटूट संकल्प,
दे गया देश को नया विकल्प।
यह लाखों की मौन पुकार,
अहिंसा ही है जीवन का सार।
क्रोध को जीतो, प्रेम को सींचो,
शांति के पथ पर अविचल खींचो।
मंदिर भले ही खंडित हुआ,
पर मानवता का ध्वज ऊँचा हुआ।
इस भीड़ ने दिखाया यह करके,
अहिंसा में है शक्ति सबसे बढ़के।
यह दृश्य रहेगा युगों-युगों तक,
अहिंसा का संदेश बन चमक।
टूटे पर भी जो शांत रहे,
उन्होंने ही इतिहास में अमर पद गहे।