स्वराज्य की सही पहचान
आध्यात्मिकता,धार्मिकता,नैतिकता
इन्ही से है भारत देश की पहचान
इसलिए जगद्ग़ुरु के नाम से
याद करता है इसे इतिहास
स्वराज्य का क्या हुआ है लाभ
जो नहीं सुरक्षित रख पाएँ इन्हें हम आज ..
‘दुनिया का बाज़ार’बना आज देश मेरा
बाज़ारवाद की विचारधारा से
धर्म,संस्कृति और समाज सब संकट में है घिरा
सब बट गए इस दुनिया के बाज़ार में
कुछ चढ़ गए मोल भावनाओं के
कुछ मोल कमाया तजुर्बों ने
कुछ मोल लगाया नई पीढ़ी ने
और कुछ स्वार्थी भी हुए हैं मालामाल
कुछ नहीं बिकता बिन मोल
इस दुनिया के बाज़ार में..
आज न रोटी सस्ती
न औषधि सस्ती
और न है कपड़ा सस्ता
शिक्षा भी है बहुतों से दूर
धनवान बना और धनवान
निर्धन बना उनका शिकार
धर्मविमुख होने से न शान्ति है और न ही है सुख कहीं
व्यक्ति,समाज और राष्ट्र सब करते हैं अब कल्याण की गुहार..
खान-पान,रहन-सहन में सादगी रहे
शिक्षा-स्वास्थ्य का पूर्ण सुधार रहे
हर उपद्रव से देश व राज्य आज़ाद रहे
राज्य धर्म से और धर्म राज्य से अनुशासित रहे
स्वदेशी को सब मिल कर अपनाएँ
वास्तव में यही स्वराज्य की सही पहचान कहलाए..
----वन्दना सूद