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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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कविता की खुँटी

                    

लड़ रहा है वह स्वयं से-ताज मोहम्मद

परेशानियों का है उसके जीवन में समन्दर,,,
लड़ रहा है वह स्वयं से अपने अंदर हीे अंदर,,,

जीवन तू कैसा है?
पूंछता है वह उसी से!!!
वह सांसों को तो ले रहा है,,,
क्योंकि प्राण बाकी हैं अभी शरीर में!!!

जो कुछ भी जीवन जिया है उसने,,,
अभी तक वह निरर्थक सा रहा है !!
अर्थी सा पड़ा है वह घर के अंदर,,,
जो सबकी बस जरूरत सा रहा हैं !!

चिंता उसको खाये जाती है अपनी बेटियोँ की !!
कैसे कब इनके हाथों में हल्दी, मेहंदी लगेगी !!

इस बार फसल भी डूबी है,,,
वर्षा के पानी के अंदर।।
खेतों में भी दिखतें हैं बस,,,
हर ओर विनाश के मंजर।।

कोई माध्यम भी ना रहा अब शेष बाकी !!
किसको बुलाये घर पर गरीबी है काफ़ी !!

कोई भी विश्वास ना करेगा उसका ऐसा है मंज़र,,,
वह मर रहा है अपने अंदर ही अंदर...

कर्जा लेकर बोए थे खेतों में बीज,,,
तरस गयी अँखियाँ बरखा की इक बूंद को।।
अंंकुर ही बस निकले थे चमकीले चमकीले,,,
सह ना पाये वो बेचारे सूखे को।।

तडप तडप के मर गए सब अपनी ही कोख के अंदर...
लड़ रहा है वह स्वयं से अपने अंदर ही अंदर…

लोक लाज का भय है उसको
अबतो सता रहा !!
किसी भी रिश्ते पर अधिकार
उसका ना रहा !!

बेटी बेटे सब उसके प्रियतम है बने,,,
ना जाने ये सब कब उसकी इज्जत ले उड़े...

इन सबका भय समा गया है उसके हृदय के अंदर,,,
लड़ रहा है वह स्वयं से अपने अंदर ही अंदर…

ताज मोहम्मद
लखनऊ




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

Muskan Kaushik said

बहुत अच्छे

ताज मोहम्मद replied

शुक्रिया जी।

Ankush Gupta said

Goosebumps poem👏🥺

ताज मोहम्मद replied

Thank you very much.

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