रक्षाबन्धन एक एहसास का बन्धन
भाई -बहन का ऐसा रिश्ता
जिसे शब्द बयान कर ही नहीं सकते
जो एक मीठे से एहसास से बँधा है
जो एक दूसरे की आँखें भी पढ़ लें
ऐसा अनमोल रिश्ता है
भाई यदि बड़ा हो तो कवच की तरह होता है
यदि बहन बड़ी हो तो माँ जैसी होती है
बहुत ख़ूबसूरत भाव से बना है यह रिश्ता
जो माता पिता की कमी कभी होने नहीं देते..
कई बार उम्र के साथ फ़ासले बढ़ जाते हैं
तब उन्हीं बचपन के रिश्तों की याद आती है
किसी ने पूछा,कल रक्षाबंधन है ?
मैंने कहा,जी हाँ कल रक्षाबंधन है
सुनकर एकाएक उठकर बैठ गईं
और कहा मुझे भी राखी भेजनी है
पर कैसे कहूँ ?उनसे,जिन्हें कल तक अपने भाई का नाम भी याद नहीं था कि वो अब हमारे बीच नहीं हैं
उम्र यादें खो देती हैं पर दिलों के एहसास ख़त्म नहीं कर पाती ..
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है