कैसे भूल जाऊँ अपने फ़र्ज़ को
माँ हूँ मैं
जानती हूँ ,समझती हूँ और एहसास भी है मुझे
अपने बच्चे के मन की हर व्यथा का
मेरे हाथ पर सिर रखना है उसे
मेरी गोद में सोने की चाह है उसकी
थक जाता है वह
कभी कभी ज़िन्दगी की रफ़्तार के साथ दौड़ते दौड़ते..
माँ हूँ मैं
कैसे कह दूँ
आराम कर ले ,थक गया है तो थोड़ी देर ठहर जा
कैसे कह दूँ कि
समय के साथ चलना छोड़ दे
ज़िम्मेदारियों से मुँह मोड़ ले ..
माँ हूँ मैं
क्या फ़र्ज़ भूल जाऊँ
उसके जीवन को सही राह दिखाने का
हर बढ़ते कदम पर उसका होंसला बढ़ाने का
उसके निराश चेहरे पर जीत की उम्मीद दिलाने का
कैसे भूल जाऊँ
अपने तजुर्बों से उसकी हर राह को सफल बनाने को कैसे भूल जाऊँ ..
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




