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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

क्या तुझे पता है ?

क्या तुझे पता है ?
तेरी गलियों में अक्सर आते हैं हम.....
एक महफ़िल तेरी गलियों में सजाते हैं और तेरी दास्तां- ए - इश्क़ सुनाते हैं हम......

तेरी गली का हर इंसा
दास्तां -ए- इश्क़ सुनता है मेरी जुबानी......
तेरी गली का हर इंसा
सुनाएगा किसी और गली में
दास्तां -ए -इश्क़ तुम्हारी.........

क्या तुझे पता है ?
हमारे दिल में भी रहता है तू ......
दिन - रात किसी और के ख़्वाबों में भी चलता है तू......

जानते हैं तेरे दिल के छोटे से कोने में भी
नाम नहीं हमारा .......
पर तेरी दास्तां -ए- इश्क़ में नाम शामिल हमने किया है हमारा.......

~ रीना कुमारी प्रजापत




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

बहुत सुन्दर लिखा मेम 'क्या तुम्हें पता है? मैं कहाँ हूँ? क्या तुम्हें पता है? खो गया हूँ? वही है दिन और वही रात है कहने को तो वही बात है तनहा तनहा, खोया खोया क्या तुम्हें पता है? मैं कहाँ हूँ?'

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanku so much

Suman Yadav said

Vah kya likha hai 👏👏👏

रीना कुमारी प्रजापत replied

Shukriya

Muskan Kaushik said

बहुत सुंदर

रीना कुमारी प्रजापत replied

धन्यवाद!

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