मैंने सोचा कि चली जाऊं कहीं दूर उससे
तब तो वो मुझे तवज्जो देगी,
क्योंकि जब मैं उसके साथ थी तब उसने मुझे
कभी अहमियत दी नहीं।
पर ख़बर मिली मेरे जाने के बाद मुझे,
कि मेरी कमी तो उसे कभी खली ही नहीं।
मैं ही तो उसके रास्ते का काॅंटा थी,
मेरी वजह से ही तो वो घर की सुख - शांति भंग
किए हुई थी।
अब वो कमबख़्त बड़ी खुश है,
पता चला कि घर में भी अब वो सुख - शांति बनाए
हुई है।
वहाॅं जो मेरे अपने है मुझे याद कर अश्क बहाते रहते हैं,
वो मेरे अपने मेरे वापस लौट आने का इंतज़ार करते रहते हैं।
पर जाऊं कैसे मैं वापस वहाॅं,
अगर गई जो फिर तो वो बैरन फिर से दुःखों का
सैलाब ले आएगी वहाॅं।
जब घर वो ना आई थी,
तब मैंने उसके प्रति कुछ ओर कल्पना कर ली थी।
जब आई वो तो पता चला,
कि वो तो सिर्फ़ मेरी कल्पना थी
हक़ीक़त तो कुछ और ही थी।
🌼 रीना कुमारी प्रजापत 🌼