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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मुझे कभी अहमियत दी नहीं

मैंने सोचा कि चली जाऊं कहीं दूर उससे
तब तो वो मुझे तवज्जो देगी,
क्योंकि जब मैं उसके साथ थी तब उसने मुझे
कभी अहमियत दी नहीं।
पर ख़बर मिली मेरे जाने के बाद मुझे,
कि मेरी कमी तो उसे कभी खली ही नहीं।

मैं ही तो उसके रास्ते का काॅंटा थी,
मेरी वजह से ही तो वो घर की सुख - शांति भंग
किए हुई थी।
अब वो कमबख़्त बड़ी खुश है,
पता चला कि घर में भी अब वो सुख - शांति बनाए
हुई है।

वहाॅं जो मेरे अपने है मुझे याद कर अश्क बहाते रहते हैं,
वो मेरे अपने मेरे वापस लौट आने का इंतज़ार करते रहते हैं।
पर जाऊं कैसे मैं वापस वहाॅं,
अगर गई जो फिर तो वो बैरन फिर से दुःखों का
सैलाब ले आएगी वहाॅं।

जब घर वो ना आई थी,
तब मैंने उसके प्रति कुछ ओर कल्पना कर ली थी।
जब आई वो तो पता चला,
कि वो तो सिर्फ़ मेरी कल्पना थी
हक़ीक़त तो कुछ और ही थी।
🌼 रीना कुमारी प्रजापत 🌼




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

Lekhram Yadav said

सुप्रभात मेरी प्यारी बहना। शुक्र है आपको हकीकत पता चल गया नहीं तो परेशानियां आपका दामन नहीं छोड़ती। बहुत सुंदर रचना है।

रीना कुमारी प्रजापत replied

Shukriya bhaisahab

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut sundar likha mam, bahut pyara laga padhkar...pranam 🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanku so much

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Apno ke ashk to apne hi samjh sakte hain

रीना कुमारी प्रजापत replied

Ji shi kha aapne 🙏🙏

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