एक किरदार निभाने के लिए हम आते हैं
लौटके फिर ना आने के लिए हम जाते हैं.
एक पल में हैं सब काफूर हो गईं खुशियाँ
गम मिल गया जरा तो रात दिन ही गाते हैं
वो चश्मा लगा है हमारी आँखों पर अब तो
सारे रंग हमको तो एक जैसे नजर आते हैं
मोह तो एक छलावा है सोने के हिरन जैसा
सीता की तरहा सभी जाल में फंस जाते हैं
क्या दिया क्या लिया इस जिन्दगी ने दास
सोचकर आज बहुत अश्क़ निकल आते हैं II