लौट आओ गौरैया
शिवानी जैन एडवोकेट
कभी चहचहाती थी पेड़ों की डाली पर,
आज उदासी छाई है, हर गली-चौराहे पर।
मोबाइल टावरों का जाल बिछा है,
गौरैया का जीवन खतरे में पड़ा है।
आओ मिलकर आवाज़ उठाएँ,
प्रकृति का संतुलन बनाएँ।
गौरैया को फिर से बुलाएँ,
अपने आँगन में, उसे बसाएँ।