हमराज हमने अब तक कोई बनाया ही नहीं है
जीने का हुनर शायद हमें आया ही नहीं है
लोग चेहरे पर लगाए हैँ फेहरिस्त कारनामों की
अपनी खामियों को हमने छुपाया ही नहीं है
उनकी बातों ने दुखाया दिल हमारा हजार बार
फिर भी दुश्मन हमने उन्हें बनाया ही नहीं है
जहाँ भी जाएं वहीं तहजीब के लबादे चमकते हैं
रंग पैरहन का असल तो दिखाया ही नहीं है
किनारे पे पहुँच कर भी तो हम अक्सर डूब जाते हैं
कभी नाखुदा ने दास को बचाया ही नहीं है II