कुछ ऐसा गर करिश्मा होता
बिन शब्द समझ आभास होता ।।
नज़र की भाषा का प्रयोग होता
इशारों का अंदाज़ निराला होता ।।
तूं, तूं, मै, मै का तिरस्कार जो होता
तो अच्छाई को भी ख़ुद पे गर्व होता ।।
काश... कुछ ऐसा संसार में होता
तो इंसानों का अभियान भी रोता ।।
दुःख दर्द का नामोनिशा ना होता
मानवता झरना अमीरस भरा होता ।।
कुछ ऐसा गर करिश्मा होता
बिन शब्द समझ आभास होता ।।