वोटरों के हाथ में मतदान करना रह गया
दल वही , झंडे वही ,काँधा बदलना रह गया।
फिर वही बेशर्म चेहरे हैं हमारे सामने
फिर बबूलों के बनों से फूल चुनना रह गया।
चक्र यह रूकने न पाये , चक्र यह चलता रहे
बस , इसी से एक लोकाचार करना रह गया।
इक तरफ़ माँ -बाप बूढ़े , इक तरफ़ बच्चे अबोध
खुरदरा दोनों तरफ फुटपाथ अपना रह गया।
इस फटे जूते में मोची कील मारे अब कहाँ?
चल रहा ये इसलिए तल्ला उखड़ना रह गया।
ये सियासत रँग बदलती रोज़ गिरगिट की तरह
इस सियासत का मगर चेहरा बदलना रह गया।
चंद गुर्गे बस विधायक , साँसद के मैाज करते
गाँव की लेकिन तरक्की का वो सपना रह गया।
--- डॉ डी एम मिश्र

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




