चलो कुम्भ नहाकर आए।
पुराने पापा बहाकर आए।।
मौका कई वर्ष बाद आया।
इश्क़-विश्क दफ़नाकर आए।।
लबों पर आ रहा नाम तेरा।
नाम में दाग लगाकर आए।।
दिल अब मेरी सुनता नही l।
जन-मानस जलाकर आए।।
मोहब्बत 'उपदेश' से रहीं।
उन्हें सबको सुनाकर आए।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद