हे शिव शंकर हे प्रलयंकर हे मृत्युंजय जग के पालक,
हे डमरूधर हे गंगाधर हे शशिशेखर शोक विनाशक
हे नंदीश्वर जय भूतेश्वर हे गिरिजावर हे कैलाशी,
हे समशानि अवघड़दानी तुम वरदानी सुन लो महेश्वर
हे पशुपति हे संभु सोमेश्वर काशी विराजत जय विश्वेश्वर
हे ममलेश्वर महाकालेश्वर भक्त पुकारत आओ रामेश्वर
बैठे समाधि न खोलत नयन सन्मुख गिरिजा जोड़े दो कर
आओ कालेश्वर भक्त पुकारत आरत होकर जय योगेश्वर
बम बम बम तिहु लोक उचारत, डिम डिम डम डम डमरू बाजत
फम फम फम भभकत गले नाग अरु,
सर सर सर सुरसरि सर किलकत
चं चं च चमकत शशि भाल तो,
कम कम कम प्रभु काम को नाशत
धिम् धिम् धिम् धधकत धरनी,जो
तम तम तम तम प्रभु तांडव नाचत
हम् हम् हम् ब्रह्माण्ड हिले ,नम नम नम दामिनी नभ चमकत
हो प्रसन्न मुख गरल कंठ रहे ,मात गंग शिव शीश पे राजत
हे विष्णु प्रिय गिरिजा उमापति ,आओ भक्त तुम्हें है पुकारत
कर मे शूल हरत त्रित्शूल अग्नि नयन प्रभु भाल मे राजत
होत प्रसन्न न करत विलम्ब भक्त हृदय में आप विराजत
- तेजप्रकाश पांडे ✍️

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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