मैं कभी कह नहीं पाया,
वो हमेशा समझ जाते हैं।
मेरी हर ख्वाहिश को वो,
हर बार पूरा कर देते हैं।
हर बार मेरी गलतियों पर,
जो डाँटते हैं, मुस्कराते हैं।
कब, क्या, कितना चाहिए?
बिना कहे सब जान जाते हैं।
जितना प्रेम मैं करता हूँ,
उससे ज्यादा वो करते हैं।
हर बार एक छत की तरह,
अपनी छाँव में रखते हैं।
एक साये की तरह आप,
हमेशा पीछे खड़े रहते हैं।
कितना जिद करता था मैं,
चंद खिलौनों के लिए,
अब जब दूर हुआ आपसे,
तब ये बात समझ आई,
ऐश आपके पैसों से होती,
अपनी से जरूरतें पूरी नहीं,
रोजगार ने हमें हमेशा दूर रखा,
पहले मैं, अब आप राह देखते हैं।
आज ये बात समझ पाया हूँ,
बाप को बाप क्यों कहते हैं।
🖊️सुभाष कुमार यादव

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




