मील के पत्थर आते जाएँ।
मंजिल दूर नजर न आएँ।।
दिखते गर्दिश में तारे मेरे।
आशिक मेरे नजर न आएँ।।
जिसकी परवाह नजर ढूँढे।
पत्थर दिल नजर न आएँ।।
वक्त गुजारा माँ के घर में।
अपना घर ही नजर न आएँ।।
प्यार करे जी भर कर 'उपदेश'।
उसके आने की खबर न आएँ।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद