स्वयं पर हो विश्वास तो,
कोई भी बाधा तुम्हारे आड़े आ सकती नहीं।
मंजिल पाने को विश्वास ही काफ़ी है,
बाकी किसी चीज़ की ज़रूरत नहीं।
स्वयं पर विश्वास ही अपने आप में संपूर्ण है,
फिर छोड़ें भले ही साथ ज़माना कोई परवाह नहीं।
स्वयं पर हो विश्वास तो,
लोगों के ताने भी मुस्कान दे जाते हैं।
फ़र्क नहीं पड़ता कि कौन क्या कहता,
फिर तो ज़ख़्म भी मरहम बन जाते हैं।
स्वयं पर विश्वास होना एक ज़ुनून है,
इस ज़ुनून से तो पत्थर भी पानी में तैर जाते हैं।
स्वयं पर हो विश्वास तो,
वक़्त भी तुम्हें हर नहीं सकता।
एक तरह से करिश्मा सा ही है ये,
इससे ग़मों में भी एहसास खुशी का मिलता।
स्वयं पर विश्वास एक अनोखी ज़िद है,
जो पहाड़ों को चिर पानी निकाल देता।
🖋️ रीना कुमारी प्रजापत 🖋️