कुछ रिश्ते खुद-ब-खुद वज़ूद बना लेते।
नाम कुछ भी दो उसे वो अपना बना लेते।।
फिर वही जिंदा रहता एहसास बनकर।
उसका नाम आते ही साँस को थाम लेते।।
फिर ख्वाब आने लगते आँखें बन्द करते।
एक मुस्कान सी रहती लोग पहचान लेते।।
साँसों मे हवा अन्दर से गर्मी लेकर आती।
कितने भी दूर रहे उनसे वो मुझे जान लेते।।
यही तासीर है गुमनाम रिश्ते की 'उपदेश'।
बिना पूछे ही हम उसका पता जान लेते।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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