दया करो मां, दया करो!
दया करो मां, दया करो!
मन के तारों को छेड़ो
अंतर्मन झनकार भरो
गीत लिखूं और प्रीत लिखूं
उज्वलतम संस्कार भरो
अक्षर अक्षर शब्द शब्द में
सजीव मोती व्यवहार भरो
तरंग तरंगित मन अनुरंजित
पुनीत पुनीत आचार भरो
ज्ञान पुंज हे ज्ञानेश्वरी!
हम पर ये उपकार करो!
दया करो मां दया करो!
कंठ चमत्कृत हो उत्कंठित
वाणी मधुरस घुल जाए
अनुशासित हो जिव्हा इतनी
रस महुरा न मिल पाए
ध्वनि गुंजन हो परम प्रीत मय
जन बगिया मन खिल जाए
सकल चराचर हों अभिनंदित
सारी सृष्टि झूल जाए
वाग्मंजरी! हे वागीश्वरी!
जीवन में आशीष भरो!
दया करो मां, दया करो!
दया करो मां दया करो!
सर्वाधिकार अधीन है