अब और कोई नशा मुझपर चढता नही।
बेहिसाब नशा मोहब्बत का उतरता नही।।
उनको देखने की चाहत बेकरार कर रही।
आसमान साफ मगर चाँद निकलता नही।।
तुम्हारी हिम्मत का जवाब चाहिए मुझको।
सबाल अब भी वही दरवाज़ा खुलता नही।।
हकीकत सोचने पर ख्वाब सुहाने 'उपदेश'।
बेचैनी बढाती है राते हिसाब मिलता नही।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद