शैतान यूं शिकार पर आयेंगे बार बार
चेहरे नए उधार के लाएंगे बार बार ।।
बड़ी मासूम हैं कलियां बहल जाएंगी
कसमें झूंठे प्यार की खायेंगे बार बार।।
दिल में फरेब गहरा लब पे रहीम राम
सत्ता की मसनदें वो पाएंगे बार बार।।
जिनके लिए हमारा लहू है बना शराब
मुद्दे वही सुधार के गायेंगे बार बार।।
मुस्कान में छिपी कोई गहरी चाल है
पैगाम वो तबाही का लायेंगे बार बार।।
सजदा जिसे किया वो हो गया सिकंदर
अब क्रूस पर मसीहा जायेगें बार बार।।
दास और कुछ नहीं जिन्दगी का कर्ज है
मूल भी यह सूद भी खाएंगे बार बार II