किस्मत के खेल
आज आँख भर गई किसी की ज़ुबानी उसकी कहानी सुनकर
क्यों ?ज़िन्दगी थोड़ा भी रहम नहीं करती
बेशक अपने बोए बीज ही फूट रहे होंगे
फिर भी न जाने क्यों?ज़िन्दगी नहीं पिघलती हमारे ज़ख्म देखकर
बच्चे के होते ही उसकी माँ चल बसी
पिता ने माँ का भी फ़र्ज़ निभाया
परिवार संभलने ही लगा था कि
नौकरी ने धोखा दे दिया
बच्चे अपनेआप पलते रहे
पिता हर मुमकिन मेहनत करता रहा
क्योंकि बच्चों को पढ़ाना है ,उनको उनके काबिल बनाना है
पर हर दिन एक नयी चुनौती लेकर आता है
दर्द की एक न एक कहानी तो हर किसी के पास होती ही है
कोई बोल कर ब्यान करता है तो किसी की आँखें बयान कर देती हैं
काश !ज़िन्दगी के पास भी दिल होता
तो शायद राहें थोड़ी आसान हो जातीं …
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




