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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

चाय की दो प्याली

जानती हूँ
तुम नहीं हो
फिर भी
मैंने मेज़ पे
चाय की दो प्याली
सजाई है
अपनी प्याली को
तुम्हारे नाम की
प्याली से टकराई है




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

Lekhram Yadav said

न जाने आपने किसको ये चाय पिलाई है मगर प्याली टकराने की गूंज यहां तक आई है आप पिलाते रहो उनको चाय पर चाय इसी तरह हमने भी कमेंट कर आपके लिए खुशी जताई है। सुप्रभात श्रेयसी जी, बहुत सुंदर रचना।

रीना कुमारी प्रजापत said

आहा! क्या बात है, कहीं ये प्याली हमारे लिए तो नहीं है... बहुत ही ज़्यादा खूबसूरत पंक्तियां👌👏🙏प्रणाम सुप्रभात और यादव जी भाईसाहब ने जो लिखा है आपकी इन पंक्तियों के लिए लाजवाब, बेमिसाल यादव जी भाईसाहब की हाज़िर जवाबी का तो जवाब ही नहीं

श्रेयसी said

बहुत-बहुतआभार आपलोगों का 🙏🙏 और कल सुना-सुना था आपलोगों के बिना likhantu.com तो मेरी चाय खींच लाई ।और रीना जी ये चाय सच में आपके लिए है,कैसे इसके लिए बिना बात किए बात नहीं बनेगी। सप्रभात 🙏🙏🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत said

बहुत बहुत शुक्रिया श्रेयसी जी आपका, आपको हमारे बिना likhantu सुना सुना लगा मैं खुद लिखंतु से दूर नहीं रहना चाहती हूं पर परसों से ही शरीर में बहुत दर्द था और थकान भी हो रही थी इस लिए पूरे दिन सोई हुई थी इसलिए कल नहीं पढ़ पाई आपकी रचना थकान तो आज भी है पर दर्द ठीक हो गया 🙏🙏

श्रेयसी said

जान कर बहुत दुख हुआ भगवान् करे आप जल्दी ठीक हो जाएँ 🙏🙏

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