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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

सलीका

बड़े अजीब लोग हैं, जाने खुद को क्या समझते हैं,
बात कहने का सलीका नहीं, उलूल जुलूल बकते हैं।

तारीफ नहीं करते तो किसी की बुराई भी मत करो,
जो बराबरी नहीं कर सकते हैं अकसर वही जलते हैं।

अगर कर रहे निंदा तो बहुत सोच विचार के करना,
आलोचना अगर सही है, सब उसकी प्रशंसा करते हैं।

जो जानता है उसे कहाँ, कब, क्या, कैसे बोलना है,
बस! इसी बात पर ही उसे लोग समझदार कहते हैं।
🖊️सुभाष कुमार यादव




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (7)

+

Lekhram Yadav said

बहुत सुन्दर रचना, सुप्रभात सहित सादर नमस्कार

सुभाष कुमार यादव replied

धन्यवाद सहित सादर नमस्कार यादव सर जी।🙏🙏

Supriya sahu said

बहुत खूबसूरत रचना सर जी 👌👌, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

सुभाष कुमार यादव replied

धन्यवाद सहित सादर प्रणाम सुप्रिया जी।🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत said

Bahut khubsurat

सुभाष कुमार यादव replied

शुक्रिया रीना जी।🙏🙏

श्रेयसी said

बहुत सुंदर 🙏🙏

सुभाष कुमार यादव replied

धन्यवाद श्रेयसी जी।🙏🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

सीधे शब्दों में गहरी बात कह दी आपने — तजुर्बे और तजुर्बे से निकली सच्चाई का शानदार मेल! हर शेर जैसे आईना दिखा रहा हो - आदरणीय यादव सर, आपको सादर प्रणाम

सुभाष कुमार यादव replied

प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद पचौरी सर जी। सादर प्रणाम।🙏

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

उंगली दिखाने वालों पर दृढ़तापूर्वक विचारों का प्रस्तुतीकरण।अनुभवशील भावपूर्ण रचना, सुंदर। नमस्कार नमस्कार!

सुभाष कुमार यादव replied

धन्यवाद समदिल सर जी। नमस्कार। 🙏🙏

Shiv Charan Dass said

बहुत खूब. . यादव जी. .बात करनेका सलीका आयेगा तो जीने का तरीका आएगा. ..

सुभाष कुमार यादव replied

धन्यवाद शिव सर जी।🙏

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