बड़े अजीब लोग हैं, जाने खुद को क्या समझते हैं,
बात कहने का सलीका नहीं, उलूल जुलूल बकते हैं।
तारीफ नहीं करते तो किसी की बुराई भी मत करो,
जो बराबरी नहीं कर सकते हैं अकसर वही जलते हैं।
अगर कर रहे निंदा तो बहुत सोच विचार के करना,
आलोचना अगर सही है, सब उसकी प्रशंसा करते हैं।
जो जानता है उसे कहाँ, कब, क्या, कैसे बोलना है,
बस! इसी बात पर ही उसे लोग समझदार कहते हैं।
🖊️सुभाष कुमार यादव

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




