खुद ही दर्द पर दर्द देते हो,
और फिर कहते हो कि दुःखी होओ मत।
खुद ही मुझे रुलाने की तरकीब ढूॅंढते रहते हो,
और फिर कहते हो कि रोओ मत।
आज जो उदासी छाई है चेहरे पे
उसकी वजह तुम ही हो,
और फिर खुद ही कहते हो कि यूं
ग़म - ज़दा रहो मत।
खुद ही मुझे गुमनाम हो जाने को मजबूर करते हो,
और फिर कहते हो कि यूं खुद को खोओ मत।
✍️ रीना कुमारी प्रजापत ✍️
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




