जब भी मैं एक क़दम आगे बढ़ाती हूॅं वो दो क़दम पीछे बढ़ाता है, कहती हूॅं मैं उससे
तू ऐसा क्यों करता है......
एक क़दम तू बढ़ा
एक क़दम मैं बढ़ाती हूॅं ,
चल ना साथ-साथ चलते हैं
कुछ नया आगाज़ करते हैं.......
जब भी मैं एक क़दम आगे बढ़ाती हूॅं
वो दो क़दम पीछे बढ़ाता है, पता नहीं क्यों ?
जितना मैं उसकी ओर जाती हूॅं
वो उतना ही मुझसे दूर चला जाता है......
यूं ना तू हमसे दूर भाग
हमे तेरे साथ की कोई इक्तिजा नहीं,
रिश्ते निभाना पसंद है हमे बहुत,
बस इसीलिए तेरा साथ चाहते हैं
वरना तेरी तरह दो क़दम पीछे बढ़ाना हम भी जानते हैं......
जब भी मैं एक क़दम आगे बढ़ाती हूॅं वो दो क़दम पीछे बढ़ाता है,
जाने क्यों ?
वो उदास और अकेला रहता है
लगता है उसकी भी मोहब्बत की अधूरी कहानी रही है......
सुना हमे भी तेरी मोहब्बत की वो दास्तां जिसमें नादान तेरी जवानी रही है,
सुना हमे भी वो अफ़साना जिसमें
तेरी भी एक रानी रही है......
~रीना कुमारी प्रजापत
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




