बिंदिया भी है, चूड़ी भी है,
माथे पर सिंदूर भी है।
आसमां से उतरी लगती कोई हूर सी है।
पर ना बिंदिया में चमक है,
ना चूड़ी में खनक है,
ना सिंदूर में लाली है।
शून्य में निहारती हुई,
खामोश दुल्हन की छवि ही निराली है।
दिल ने पूछा उससे—
क्या तेरी मंजिल अभी दूर है?
दर्द दिल में छुपाये हँसते हुए
वो यूँ बोली—
जीवन साथी भी है,
रहने को सोने का पिंजरा भी है,
पर मेरे सपनों का महल चूर–चूर है।
—सरिता पाठक


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
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