कविता : तुम्हारा मेरा प्यार....
कॉलेज के दिनों में मैं तुम्हें देखता
रहा तुम मुझे देखती रही
मैं तुम्हारे लिए सोचता रहा
शायद तुम भी मुझे सोचती रही
न तुमने कुछ कहा
न फिर मैंने कुछ कहा
तुम्हारा मेरा सिलसिला
इतने में ही सीमित रहा
तुम पढ़ती गई
मैं भी पढ़ता गया
भीतर भीतर हमारा
प्यार भी बढ़ता गया
मैं अपना कैरियर बनाने लगा
तुम भी अपना कैरियर बनाने लगी
कैरियर अपनी बनाते बनाते
तुम्हारी और मेरी उमर जाने लगी
कैरियर बनाने के चक्कर में
उमर तुम्हारी ढल गई
क्या कहूं क्या न कहूं सनम
मेरी उमर भी निकल गई
जवानी में तो हुआ नहीं
तुम्हारा मेरा मेल
काफी समय बीत गया अब
क्या करना तालमेल ?
न तुम ने कुछ कहा
न मैंने कुछ कहा
न तो वो तुम रही
न तो वो मैं रहा
न यहां यारी न
यहां यार रहेगा
मगर हमेशा तुम्हारा
मेरा प्यार रहेगा
मगर हमेशा तुम्हारा
मेरा प्यार रहेगा.......
netra prasad gautam

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




