व्यर्थ कि बातों ने मेरे द्वार बंद किये
व्यर्थ कि सोच ने मेरे दर्शन बंद किये
मै सदैव सबके साथ
मै सहज सबके हात
इतना मै गहन नहीं।
इतना मै कठिन नहीं।
तुम्हारे पंडितोंने मुझे भगवान बना दिया।
तुम्हारे मंत्रो ने मुझे कारागार में डाल दिया।
तुम्हारे ग्रंथो ने मुझे असाधारण बना दिया।
मै तो साधारण
सबके ह्रदय में
सबको प्राप्त
हे भगवंत..
तुम कृपावंत।
✍️ प्रभाकर, मुंबई ✍️

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




