कर्म का वृक्ष
शिवानी जैन एडवोकेटbyss
कार्य एक छोटा बीज है बोया,
समर्पण का जल उसे हर दिन सींचा।
धैर्य की कोमल मिट्टी में पलकर,
आशा की किरण से वह अंकुरित हुआ।
लगा समय, जड़ें गहरी गईं धरती में,
संघर्ष की धूप और छाँव उसने झेली।
पर अडिग रहा, विश्वास की डाली पकड़े,
अंततः सफलता का फल उसमें फला।
उस वृक्ष की छाया में शांति है गहरी,
कर्मठता का ही यह सुंदर प्रतिफल है।
जो बीज बोएगा लगन और निष्ठा से,
उसके जीवन में भी खिलेगा स्वर्णिम कल।