तेरे बगैर कुछ भी न भाए बता ऐ दिल क्या करूँ
दिल से तेरा ख्याल न जाए बता ऐ दिल क्या करूँ
दुनिया हसीं सही मगर उम्मीद में अटकी रहूँ मैं
कोई रास्ता न दिखाए मुझे बता ऐ दिल क्या करूँ
दिल को दबाने से क्या मिला याद दबती नही
कमबख्त तेरे बगैर चैन न आए बता ऐ दिल क्या करूँ
मदहोश होती जा रहीं न जाने क्यों इंतजार में
सोचती 'उपदेश' आएगा कब बता ऐ दिल क्या करूँ
मशवरा रात से करती रहीं आँखों में ख्वाब लिये
दरिन्दे परिन्दे जैसा नजर आए बता ऐ दिल क्या करूँ
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद